लेखनी प्रतियोगिता -15-Nov-2021
ये वादियां मेरी हसीं वादियां
किसी जन्नत से कम नहीं,
जहां तक नज़र जाए
सुन्दर नज़ारे अपनी आगोश में बुलाएं
इन वादियों को निहारते-निहारते मन करता
काश वक्त का पहिया यहीं रुक जाए,
और शाम यहीं थम जाए
ये वादियाँ मेरी हसीं वादियाँ...
ये ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से नदियों, झरनों का बहना
कहता हो आगे बढ़ते चलो,
रुकना, थमना जिंदगी नहीं है
मन करता है जिंदगी यहीं थम जाए
ये बर्फ की चादर से ढंके देवदार के पेड़
कहते हों,ऊँचा उठते चलो आगे बढ़ते चलो
उस आसमां को छूते चलो,
मन करता है इन्हें सदा यूँ ही निहारती रहूँ I
ये वादियाँ मेरी हसीं वादियाँ...
ये बच्चों,स्त्रियों का दिन चढ़ते
पोखरों, बाबड़ियों पर पानी भरने जाना
कितना सुंदर दृश्य है,
मन करता है इन्हें एक टूक यूं ही निहारती रहूँ
ये वादियाँ मेरी हसीं वादियाँ
ये छोटी-छोटी पगडंडियों से
लोगों का आना-जाना, मिलना-मिलाना
रिश्तों का बुनता जाए ताना-वाना,
मन करता है जीवन का सफ़र यहीं बीत जाए
ये वादियाँ मेरी हसीं वादियाँ